तुम तमाम कोशिशें कर लो
प्यार की टोकरियाँ उपहार में दे दो
ताकि सुगंधों में खो जाऊं
गठबंधन कर दो जिनकी रक्षा में चुक जाऊं
परिवारों की जलती भट्ठी में झोंक दो
सुकोमल बच्चे पैदा करो जिनकी निर्द्वंद्व इच्छाएं जीवन को नोच डाले
पराजित करो मुझे
ताकि अपमानित हो
बार बार ढूंढूं कन्धा रोने के लिए
उपलब्धियों के टापू बसा दो
ताकि भीड़ की तृष्णा इन टापूओं पर काट काट कर रोपती रहे मुझे
लाद दो जिम्मेदारियां
नंगी तलवारों से लड़ने की
वक्त से महरूम कर दो
ताकि सोच भी न पाऊँ मैं
लेकिन मैं अज्ञात निर्विकार अकेलापन
बचा रहूँगा
निर्लिप्त इन सरोकारों से
अपनी ही मिटटी और धूप से होता बड़ा
पलूंगा भीतर
साथ चलूँगा जैसे चांदनी रात में चलता है चाँद
विस्तृत तारों भरा आसमान
मर जाऊंगा चुपचाप अपनी एकनिष्ठा से तुम्हारी देह के लुप्त होने के बाद
मुझे रोने वाला कोई नही चाहिए
-लीना मल्होत्रा