मैं उसे कभी ट्रेन तक छोड़ने नही जाती
ट्रेन की आवाज़ मेरी धडकन में बस जाती है
उसके बाद जब तक वह लौट नही आता
मेरा दिल ट्रेन की गति सा चलता है और धडकता है छुक छुक
मैं बिना उसके साथ गए एक सफर में शामिल हो जाती हूँ
रात सोते समय भी मेरे बिस्तर पर धूप उतर आती है
और भागते हुए पेड़ मेरे जीवन की स्थिरता को तोड़ते रहते हैं
तब
सड़कों के किनारे खाली खेतों में वीरान पड़े मंदिरों की तरह मैं अकेली हो जाती हूँ
इसलिए
जब भी वह शहर से दूर जाता है
मैं उसे स्टेशन के बाहर से छोड़ कर चली आती हूँ
और कई कई दिन तक मुझे लगता है
बस वह सब्जी लेने गया है
या हजामत बनवाने
बस आता ही होगा
भ्रम पालने में वैसे भी हम मनुष्यों का कोई सानी नही
ट्रेन की आवाज़ मेरी धडकन में बस जाती है
उसके बाद जब तक वह लौट नही आता
मेरा दिल ट्रेन की गति सा चलता है और धडकता है छुक छुक
मैं बिना उसके साथ गए एक सफर में शामिल हो जाती हूँ
रात सोते समय भी मेरे बिस्तर पर धूप उतर आती है
और भागते हुए पेड़ मेरे जीवन की स्थिरता को तोड़ते रहते हैं
तब
सड़कों के किनारे खाली खेतों में वीरान पड़े मंदिरों की तरह मैं अकेली हो जाती हूँ
इसलिए
जब भी वह शहर से दूर जाता है
मैं उसे स्टेशन के बाहर से छोड़ कर चली आती हूँ
और कई कई दिन तक मुझे लगता है
बस वह सब्जी लेने गया है
या हजामत बनवाने
बस आता ही होगा
भ्रम पालने में वैसे भी हम मनुष्यों का कोई सानी नही